ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन का जत्था दिल्ली के लिए रवाना

गया। ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन गया शाखा से लगभग 100 कर्मचारियों का जत्था नई दिल्ली के लिए महाबोधि एक्सप्रेस के लिए रवाना हुई । जैसा की ज्ञात है नेशनल काउंसिल फॉर ज्वाइंट फोरम के नेता कॉम शिवगोपाल मिश्रा के नेतृत्व में 10 अगस्त 2023 को अजमेरी गेट नई दिल्ली से एक विशाल रैली निकालते हुए रामलीला मैदान पर सभा में तब्दील हो जाएगी तत्पश्चात रामलीला मैदान से संसद भवन के समक्ष प्रदर्शन करने के लिए सभी केंद्रीय विभागों के कर्मचारी जैसे रेलवे , डाक विभाग, आयकर विभाग तथा राज्य सरकार के कई ट्रेड यूनियन संगठन ,शिक्षक संगठन इस प्रदर्शन में भाग ले रहे हैं। संपूर्ण डीडीयू मंडल का नेतृत्व कामरेड मिथिलेश कुमार कार्य कारी अध्यक्ष ईसीआरकेयू हाजीपुर सह पी एन एम प्रभारी डीडीयू सह कार्यकारिणी सदस्य ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन नई दिल्ली कर रहे हैं उन्होंने बताया कि लगभग 5 से 6 लाख कर्मचारी सभी विभागों का मिलाकर नई दिल्ली में जूटेंगे जिसमें रेल कर्मचारियों की संख्या लगभग तीन लाख होने का अनुमान है। कामरेड मिथिलेश कुमार ने बताया कि हमारी मांग नई पेंशन स्कीम को हटाकर पुरानी पेंशन स्कीम देने की है उससे कम हमें मंजूर नहीं । पुरानी पेंशन हमारा मौलिक अधिकार है यह बुढ़ापे का सहारा एवं सामाजिक सुरक्षा कर्मचारियों को प्रदान करती है इसमें किसी भी प्रकार का बदलाव कर्मचारी हित में नहीं होगा। “एक राष्ट्र, एक पेंशन “की नीति पर सरकार को चलना चाहिए । संपूर्ण भारतवर्ष के केंद्रीय एवं राज्य सरकारों के ट्रेड यूनियन इस प्रदर्शन में भाग ले रहे हैं। गया शाखा मंत्री मुकेश सिंह ने कहा कि पुरानी पेंशन का मुद्दा काफी महत्वपूर्ण है यदि कर्मचारियों को नई पेंशन स्कीम की जगह पर पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं की जाती है तो आगामी वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में वर्तमान सरकार को परेशानी का सामना करना पड़ेगा उनका कहना था कि जो पेंशन की बात करेगा वही देश पर राज करेगा। प्रत्येक कर्मचारी एवं उनके परिवार 10- 10 वोट को प्रभावित करने का क्षमता रखता है तो इसका परिणाम दोगुना असर डालने वाला होगा। सरकार को इस पर विचार करनी चाहिए क्योंकि अधिकांश राज्य सरकार फिर से पुरानी पेंशन योजना लागू कर रही है। यदि नई पेंशन स्कीम बहुत अच्छी है तो नेताओं को 1.1. 2004 के बाद पुरानी पेंशन क्यों दी जा रही है सोचने का विषय है जबकि राष्ट्र के लाभांश में ,उत्पादकता में उनका कोई योगदान नहीं होता है वे देश सेवा ,राज सेवा के लिए आते हैं वह कहते हैं की जनता का सेवक हूं तो जनता की सेवक को इतनी सुख -सुविधा और पुरानी पेंशन की आवश्यकता क्यों महसूस होती है इसलिए एक राष्ट्र ,दो पेंशन नीति नहीं चलेगी।

सच भारत न्यूज़ संवाददाता प्रकाश कुमार