चैती छठ महापर्व नहाय-खाय के साथ आज से शुरू

गया। लोक आस्था का महापर्व चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान चैत्र शुक्ल चतुर्थी तिथि शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ आरंभ होगा। छठ व्रती गंगा स्नान कर घरों में गंगाजल लाकर पूजन करने के बाद अरवा चावल,चने की दाल, लौकी की सब्जी,सेंधा नमक, आंवला की चटनी आदि ग्रहण कर चार दिवसीय अनुष्ठान का संकल्प लेंगे।

36 घंटे निर्जला उपवास का लिया जाएगा संकल्‍प

पंडित अनुप पांडे ने बताया कि शुक्रवार को रोहिणी नक्षत्र व आयुष्मान योग में नहाय-खाय के साथ पर्व आरंभ होगा। 13 अप्रैल शनिवार को मृगशिरा नक्षत्र व शोभन योग में व्रती पूरे दिन निराहार रहकर शाम में खरना पूजा कर गुड़ से बनी खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला उपवास का संकल्प लिया जाएगा।छठ व्रती 14 अप्रैल दिन रविवार को आर्द्रा नक्षत्र में डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी।वहीं, 15 अप्रैल को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पारण कर चार दिवसीय महापर्व को पूर्ण करेंगी।धार्मिक मान्यता है कि छठ पूजा करने से परिवार का कल्याण होता है। इसके साथ ही ये व्रत संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, जिन विवाहित जोड़ों को संतान प्राप्ति में दिक्कतें आ रही हैं वो छठी मैया के आशीर्वाद से संतान प्राप्ति कर सकते हैं।मौके पर मनोज कुमार ने बताया की चार दिनों तकचलने वाला चैती छठ पर्व बड़े ही श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है।जिसमे पहले दिन नहाय-खाय, दूसरा दिन खरना, तीसरा दिनसंध्या अधर्ध और चौथा दिन प्रात: कालीन अर्घ दिया जायेगा।