
फतेहपुर प्रखंड के प्राइवेट स्कूल द्वारा की जा रही परिवहन व्यवस्था की लापरवाही अब जानलेवा साबित हो रही है। स्कूल की बसों में बच्चों को ठूंस-ठूंस कर भरने और ऑटो जैसे असुरक्षित वाहनों का इस्तेमाल करने के कारण बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
जानकारी के अनुसार, स्कूल बसों में क्षमता से अधिक बच्चे भरे जाते हैं। कई बार बच्चों को खड़े होकर सफर करना पड़ता है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब कुछ बच्चों को स्कूल प्रबंधन ऑटो से लाने-ले जाने की अनुमति देता है, जो न तो सुरक्षित हैं और न ही नियमानुसार रजिस्टर्ड।
फतेहपुर प्रखंड के डुमरी चट्टी में हाल ही में एक दर्दनाक घटना सामने आई, जब एक बच्चा ओवरलोड ऑटो से गिर गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। यह हादसा न सिर्फ प्रशासन के लिए एक चेतावनी है, बल्कि स्कूल प्रबंधन की घोर लापरवाही को भी उजागर करता है।
स्थानीय लोगों और अभिभावकों का कहना है कि वे पहले भी स्कूल प्रशासन से इस विषय में शिकायत कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। अभिभावकों की मांग है कि:
स्कूल की बसों में बच्चों की संख्या सीमित की जाए।
ऑटो या अन्य गैर-लाइसेंसी वाहनों का प्रयोग तुरंत बंद हो।
दोषी स्कूल प्रशासन पर कानूनी कार्रवाई की जाए।
शहरवासियों ने जिला शिक्षा अधिकारी और परिवहन विभाग से इस मामले में हस्तक्षेप करने और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।
बिहार के स्कूल‑परिवहन से जुड़े मुख्य नियम और प्रावधान
- ऑटो और ई‑रिक्शा से स्कूल बच्चों को ले जाने पर प्रतिबंध। 1 अप्रैल 2025 से बिहार सरकार ने ऑटो एवं ई‑रिक्शा द्वारा स्कूल जाने वाले बच्चों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है।
- ओवरलोडिंग पर जुर्माना और सीमाएँ।
स्थानीय प्रशासन:- सबकुछ उनकी आँखों के सामने हो रहा है, फिर भी अनजान बने हैं।ये सब खेल उनकी नाक के नीचे चल रहा है और वे चुप हैं।लगता है प्रशासन खुद ही इस खेल में शामिल है।
वही इस मामले में फतेहपुर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी दिनेश राय ने बताया कि ऑटो से बच्चों को लाना और पहुंचाना गैर कानूनी है। मामले की जांच कर ऐसे स्कूलों पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
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