नक्सली हमले में शहीद पुलिसकर्मियों की नहीं मनाई गई शहादत दिवस।

परैया:- शहीदों के शहादत को भूलना न सिर्फ उनके बलिदान की उपेक्षा है, बल्कि समाज को गलत संदेश देता है। परैया थाना में 2 जुलाई 2003 को हुए नक्सली हमले में शहीद हुए दारोगा व कर्मियों को उनके सहकर्मियों और पुलिस प्रशासन ने भुला दिया। प्रत्येक वर्ष उनकी शहादत को याद करने के शहादत दिवस सह श्रध्दांजलि सभा का आयोजन जाता था।इस बार नहीं किया गया। जो क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। ज्ञात हो कि 2 जुलाई 2003 की देर रात सैकड़ों नक्सलियों के द्वारा परैया थाने को घेर कर हमला किया गया था, जिसमें नक्सलियों से बहादुरी के साथ मुकाबला करते हुए अवर निरीक्षक सुरेश पासवान, सहायक अवर निरीक्षक सीताराम सिंह व रसोइया अर्जुन पासवान शहीद हो गए थे। उनकी स्मृति में प्रतिवर्ष श्रद्धांजलि सभा आयोजित किया जा रहा था। इस दौरान शहीद के परिजनों सम्मानित किया जाता है। जिससे उनके बलिदान को याद किया जा सके और पुलिस बल के जवानों को प्रेरित किया जा सके। इस वर्ष ऐसा आयोजन नहीं हुआ। जिससे शहीद के परिवार और स्थानीय लोगों में निराशा है।

बसपा जिला प्रभारी राघवेंद्र नारायण यादव ने कहा कि शहीदों का सम्मान करना और उनके बलिदान को याद रखना समाज का नैतिक कर्तव्य है। यह न केवल उनके सेवाभाव को श्रद्धांजलि देता है, बल्कि भावी पीढ़ियों को भी राष्ट्र के प्रति समर्पण के लिए प्रेरित करता है। कोरोना काल जैसे विपरीत समय में भी श्रद्धांजलि सभा आयोजित किया गया था। इस वर्ष शहादत दिवस का आयोजन न होना एक चूक या प्रशासन की उदासीनता का संकेत हो सकता है।

टिकारी एसडीपीओ सुशांत कुमार चंचल ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी दूरभाष से मिली है। इसको लेकर थाना अध्यक्ष से बात करके जरूरी निर्देश देंगे।