जितिया पर्व: मातृत्व, ममता और संतान की दीर्घायु का प्रतीक- खुशी प्रकाश

जितिया पर्व मातृत्व और ममता का अनोखा उदाहरण

गयाजी। हिंदू धर्म और सनातन परंपरा में जितिया पर्व का अत्यंत पवित्र और विशेष महत्व है। यह पर्व खासतौर पर माताओं द्वारा अपने बच्चों की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और कल्याण के लिए किया जाता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि संतान की सुरक्षा और मंगलमय जीवन के लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस दिन माताएँ अपने पुत्र-पुत्रियों की रक्षा और जीवन में आने वाली हर विपत्ति को टालने के लिए कठोर निर्जला उपवास करती हैं।इस अवसर पर खुशी प्रकाश ने कहा कि यह मेरा पहला जितिया पर्व है,यह पर्व मातृत्व और ममता का अनोखा उदाहरण है।जिस प्रकार सुहागिन महिलाएं हरितालिका तीज का व्रत अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं, उसी प्रकार माताएँ संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए यह व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएँ सूर्योदय से लेकर अगले दिन तक जल भी ग्रहण नहीं करतीं और पूरे मनोयोग से संतान के कल्याण की प्रार्थना करती हैं।धार्मिक मान्यता है कि इस पर्व के पालन से संतान पर आने वाले संकट टल जाते हैं और उनका जीवन सुख-समृद्धि से परिपूर्ण होता है। यही कारण है कि जितिया पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि माँ की अटूट ममता और त्याग का जीवंत उदाहरण भी है।