
उद्योग, शिक्षा जगत और नीति निर्माता ने भारत के स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर चर्चा किया।
आईआईएम बोधगया ने 14 सितंबर को अपने प्रमुख स्वास्थ्य सेवा नेतृत्व शिखर सम्मेलन, कन्वर्जेंस 2.0 का आयोजन किया, जिसमें उद्योग जगत के अग्रणी, नीति निर्माता, चिकित्सक और नवप्रवर्तक भारत में स्वास्थ्य सेवा के एक प्रौद्योगिकी-संचालित, रोगी-केंद्रित भविष्य पर चर्चा करने के लिए एक साथ आए। इस कार्यक्रम का विषय था “टेक्नोलॉजी से स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में बदलाव” और इसमें विशेषज्ञ इस बात पर व्यावहारिक अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए एकत्रित हुए कि कैसे उभरती हुई प्रौद्योगिकियां स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य को नया रूप दे रही हैं।
दिन की शुरुआत उद्घाटन समारोहों के साथ हुई, जिसके बाद आईआईएम बोधगया की निदेशक डॉ. विनीता एस. सहाय ने भारत-केंद्रित स्वास्थ्य सेवा दृष्टिकोण की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए कहा, “भारत, पश्चिमी देशों की तरह स्वास्थ्य सेवा का खर्च नहीं उठा सकता। हमें एक ऐसे राष्ट्र की आवश्यकता है जो स्वस्थ, तन और मन से सुदृढ़ हो।” आईआईएम बोधगया के एमबीए एचएचएम(अस्पताल एवं स्वास्थ्य सेवा प्रबंधन) के अध्यक्ष प्रो. स्वप्नराग स्वैन ने नेतृत्व शिखर सम्मेलन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला, जो शिक्षा जगत और उद्योग जगत के बीच ज्ञान का एक मज़बूत और निरंतर आदान-प्रदान स्थापित करना है। इन टिप्पणियों ने शिखर सम्मेलन के लक्ष्य को मापनीय, समतामूलक समाधानों पर केंद्रित किया और आगे की चर्चाओं के लिए माहौल तैयार किया।
वरिष्ठ डॉक्टरों और विशेषज्ञों की पैनल चर्चा में स्वास्थ्य सेवा के कई अहम पहलुओं पर बात हुई। पहले सत्र “मेडटेक और मेडिकल उपकरणों से नवाचार” में चर्चा हुई कि कैसे आर एंड डी से लेकर इस्तेमाल तक की प्रक्रिया चलती है, मेक इन इंडिया के तहत घरेलू उत्पादन क्यों ज़रूरी है, और एआई, आईओटी व रोबोटिक्स से उपकरणों की क्षमता और मरीजों के नतीजे कैसे बेहतर हो सकते हैं। चर्चा में शामिल विशेषज्ञों में एमडी (ज़िमर बायोमेट) श्री अजय बग्गा, एमडी और जीएम, दक्षिण एशिया, वायगॉन श्री मनीष सरदाना, एमडी, हेल्थकेयर एंड लाइफ साइंसेज, अल्वारेज़ एंड मार्सल श्री राम पांडा, उप निदेशक, गेट्स फाउंडेशन डॉ. भूपेंद्र त्रिपाठी, ग्रुप वीपी, रोमसंस ग्रुप सुश्री प्रगति अवस्थी शामिल थे।
अगले सत्र का विषय “डिजिटल बदलाव से स्वास्थ्य सेवाओं में नया रूप” था। जिसमें डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड, एआई और डेटा का इस्तेमाल इलाज और नतीजों को बेहतर बनाए जाने पर ज़ोर दिया गया। साथ ही, टेलीमेडिसिन और पहनने योग्य डिवाइस मरीज़ों की पहुँच आसान कर रहे हैं। पैनल ने यह भी कहा कि भविष्य के लिए डिजिटल रूप से तैयार स्वास्थ्यकर्मी ज़रूरी हैं। वक्ताओं में क्लियरमेडी हेल्थकेयर के नवनीत बाली, मेट्रो हॉस्पिटल्स के डॉ. समीर गुप्ता, डेलॉइट के विक्रम आनंद, मेडिकवर हॉस्पिटल्स के नीरज लाल, एस्टर डीएम हेल्थकेयर के दुर्गा पी. नायक, और होस्मैक इंडिया के डॉ. अभिषेक पवार शामिल थे।
कार्यक्रम में दवा और जीवन विज्ञान क्षेत्र पर भी चर्चा हुई, जिसमें आपूर्ति-श्रृंखला के लचीलेपन, नवीन उपचारों की सामर्थ्य और पहुँच, नैदानिक परीक्षणों की भूमिका, और टीकों, इम्यूनोथेरेपी और व्यक्तिगत चिकित्सा में उभरते रुझानों पर एक पैनल चर्चा हुई।पैनल के सदस्य में सिंथिम्ड लैब्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (पीपुल्स एंड कल्चर) श्री मनप्रीत सिंह सोढ़ी; एसीजी फार्मापैक के वैश्विक मानव संसाधन प्रमुख (एचआर) श्री राजेश कुमार पेब्बिली; अरबिंदो फार्मा के प्रतिभा प्रबंधन प्रमुख (टैलेंट मैनेजमेंट) श्री सुहास राम सी; बोह्रिंजर इंगेलहाइम के प्रमुख मानव संसाधन प्रमुख (एचआर); डॉ. रेड्डीज़ के प्रमुख मानव संसाधन बिज़नेस पार्टनर श्री मौसम कुमार; और एल्केम लैब्स के एसोसिएट उपाध्यक्ष (लर्निंग) श्री पृथ्वीश पाठक शामिल थे।
इस चर्चा में प्रदाता और भुगतानकर्ता के तालमेल पर बात हुई। इसमें बेहतर इलाज के लिए मूल्य-आधारित देखभाल, बीमा और डिजिटल भुगतान से नई सुविधा, और लंबे समय तक अच्छे स्वास्थ्य नतीजों के लिए मज़बूत साझेदारी पर जोर दिया गया। वक्ताओं में केपीएमजी के वैभव अरोड़ा, कॉग्निजेंट के सुवेंदु शेखर त्रिपाठी, इंश्योरेंस सॉल्यूशन की शिल्पा अरोड़ा, और आयुषपे के कर्नल हेमराज सिंह परमार शामिल थे।
कन्वर्जेंस 2.0 में चर्चा हुई कि टेक्नोलॉजी कैसे संतुलित और अनुकूल स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था बना सकती है। इसमें एआई-आधारित जांच, टेलीमेडिसिन, जुड़े हुए मेडिकल उपकरण और डेटा उपयोग जैसे विषय शामिल थे। पैनल ने सुझाव दिए कि इंटरऑपरेबिलिटी बढ़ाई जाए, सप्लाई चेन मज़बूत हों और नई तकनीक ज़िम्मेदारी से अपनाई जाए। इस कार्यक्रम ने अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों को जोड़ा और मिलकर रोगी-केंद्रित, टेक्नोलॉजी-आधारित स्वास्थ्य सेवा को आगे बढ़ाने के अवसर दिखाए। आईआईएम बोधगया ने कहा कि उसका एमबीए, हॉस्पिटल एंड हेल्थकेयर मैनेजमेंट एचएचएम प्रोग्राम उद्योग की ज़रूरतों के अनुसार बनाया गया है, ताकि छात्रों को व्यावहारिक और नौकरी-उन्मुख शिक्षा मिल सके।
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