ग्रामीणों ने एक दिवसीय भूख हड़ताल किया।

अपने विभिन्न मांगों के समर्थन में प्रखंड के खनेटा,पाली और अलावलपुर गांव के ग्रामीणों ने एक बार फिर एक दिवसीय भूख हड़ताल और धरना प्रदर्शन किया। इस धरना प्रदर्शन में छात्र छात्राओं और महिलाओं की संख्या अधिक थी। प्रदर्शनकारियों ने बताया कि खनेटा गांव पंचायत मुख्यालय है। सरकार के नियमों के अनुसार हर पंचायत मुख्यालय में एक +2 विद्यालय की स्थापना होनी चाहिए। खनेटा गांव के +2 विद्यालय सारी व्यवस्था पर्याप्त है। जरूरत के अनुसार सरकारी जमीन भी उपलब्ध है। बाबजूद कुछ बिचौलिया के कारनामों से हमारे गांव में बनने वाले विद्यालय को पथरा गांव में स्थानांतरित कर दिया गया है। भूख हड़ताल पर बैठे लोगों ने कहा कि उच्च विद्यालय यहां नहीं बनने से हमारे गांव और आसपास के छात्र छात्राओं का भविष्य अंधकारमय दिखने लगा है। सरकार अगर खनेटा गांव में उच्च विद्यालय का निर्माण का आदेश नहीं देती है। तो आने वाले विधानसभा चुनाव में हमलोग सामूहिक वोट बहिष्कार करेंगे। वहीं लोगों ने बताया कि एनएच 22 के चौड़ीकरण के दौरान बनाए गए सड़क मार्ग पर बेलागंज के रामपुर मोड़ से उमता ओवरब्रिज तक बनाए गए डिवाइडर में एक भी कट प्वाइंट, अंडरपास या ओवरब्रिज नहीं दिया गया है। जिससे गांव के लोगों को, किसानों को, छात्र छात्राओं को महिलाओं को रोड क्रॉस करने में कभी भी बड़ी हादसा होने की संभावना बनी रहती है। सड़क पार करने के दौरान कई लोग अपनी जान गंवा दिए हैं। ग्रामीणों के सुरक्षा के लिए खनेटा, अलावलपुर और पाली गांव के समीप ओवरब्रिज या अंडरपास का निर्माण आवश्यक है। वहीं एनएच के चौड़ीकरण के दौरान गांव के महादेव स्थान मंदिर को एनएचएआई द्वारा तोड़ दिया गया था। जिसे बनाने का दायित्व एनएचएआई की। मगर एनएच 22 के निर्माण कार्य को पूरा हुए लगभग एक साल होने जा रहा है। मगर महादेव स्थान मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हुआ है। जिससे ग्रामीणों के आस्था को ठेस पहुंच रही है। जबकि एनएचएआई द्वारा बेलागंज के रामपुर मोड़ से जहानाबाद बॉडर तक एक भी यात्री शेड का निर्माण नहीं कराया गया है। धरना प्रदर्शन और भूख हड़ताल का नेतृत्व कर रहे धनंजय कुमार शर्मा, मो शाह नुरैन और धनंजय पासवान ने बताया कि अपने गांव के सभी समस्याओं और अपने आंदोलन से स्थानीय अधिकारी से लेकर उच्च अधिकारियों तक और मुख्यमंत्री कार्यालय से प्रधानमंत्री कार्यालय तक सूचना दे दी गई है। अगर सरकार और जिला प्रशासन हमारी मांगों को अनदेखी करती है तो आने वाले विधानसभा चुनाव में पूर्व रूप से वोट बहिष्कार किया जाएगा। उसके बाद भी अगर मांगों पर सुनवाई नहीं हुआ तो अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर बैठा जाएगा।