
वजीरगंज(गया); थाना क्षेत्र के सुढ़नी से मंगलवार की देर रात गया पुलिस का शर्मशार करने वाला चेहरा सामने आया है। गांव में दो गुटों के बीच हुई मारपीट मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी करने गई पुलिस ने कई घरों के लोगों को जगाकर दरवाजा खुलवाया, आरोपियों की खोजबीन की लेकिन वे घर मे नहीं पाए गए। इस पर पुलिस टीम ने महिलाओं को काफी प्रताड़ित किया और नामजद आरोपियों को बुलाने का दबाव भी बनाया। लेकिन महिलाओं को पता नहीं था कि वे कहां छुपे हैं, जिसके कारण बुलाने से असमर्थता जताई। अंत में पुलिस की टीम राजू यादव के घर का दरवाजा खुलवाकर प्रवेश कर गई। वहां भी केवल बच्चे और महिलाएं सो रहे थे। राजू को नहीं मिलने पर उनकी पत्नी बेबी देवी की बर्बरता पूर्वक अंधाधुंध पिटाई शुरू कर दिया गया। इस संबंध में पीड़िता बेबी ने अपना जख्म दिखाते हुए बताया कि पुलिस वाले रात को बारह बजेआए और पति राजू यादव को बुलाने के लिए कहने लगे। लेकिन मुझे पता नहीं था कि वह कहां है। फिर भी वे जबरदस्ती बुलाने के लिए कहते हुए मुझे पीटने लगे। वह बताती है कि लाठियों की बौछार से पूरा शरीर लहू लुहान हो गया। हम चिल्ला रहे थे, उनके आगे गिड़गिड़ाते हुए रहम की भीख मांग रहे थे,

लेकिन दरोगा जितेंद्र पासवान एवं अन्य पुलिस लगातार पीटते चले जा रहे थे। जब हम दर्द के मारे अचेत हो गए तब वे हमें छोड़कर गए। घर में बारह साल की बेटी मुझे पीटते हुए देखकर जब रोने चिल्लाने लगी तो पुलिस उसे भी नहीं छोड़ी। उसकी भी जमकर पिटाई की। गांव में बीते छह जून को द्विअर्थी गाना बजाने को लेकर दो गुटों के बीच मारपीट की साधारण सी घटना में पुलिस द्वारा इतनी कठोरतापूर्वक कार्रवाई, देर रात तक छापेमारी करना और महिला की पिटाई से पूरे क्षेत्र के लोग स्तब्ध हैं। पुलिस की कार्रवाई वैसे चली जैसे कोई बड़ा सा नरसंहार हुआ हो। पुलिस के इस रवैया से पूरे गांव की महिलाएं एवं बच्चे दहशत में है। इस संबंध में थानाध्यक्ष वेंकटेश्वर ओझा ने बताया कि प्राथमिक में नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की गई है, और आगे भी जारी रहेगी। लेकिन महिला की पिटाई होने की जानकारी मुझे नहीं है। हम उसकी जानकारी लेकर आगे कुछ बताएंगे।
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