पितृपक्ष मेला के सातवां दिन भी पिंडदानियों की उमड़ी भीड़ विष्णुपद की 16 वेदियो पर पिंडदान

गया में पितृपक्ष मेला के सातवें दिन विष्णुपद की 16 वेदियों पर पिंडदान का विधान है। मान्यता है की इन वेदियों पर पिंडदान श्राद्ध करने से पित्रों को सीधे स्वर्ग लोक की प्राप्ति हो जाती है। पितृ पक्ष मेले में लाखों श्रधालु अपने पित्रों के पिंडदान के लिए गया धाम को पहुंचे हैं। मिली जानकारी के अनुसार अब तक चार लाख से भी अधिक पिंडदानी गया जी आ चुके हैं।


विष्णुपद में 16 वेदियो पर पिंडदान: विष्णु पद के 16 वेदियो में कार्तिक पद, दक्षिणाग्निपद, गार्हपत्याग्नी पद, आवहनोमग्निपद, संध्याग्नि पद, आवसंध्याग्निपथ, सूर्यपद, चंद्रपद, गणेशपद, उधीचीपद, कण्वपद, मातंगपद, कौचपद, इंद्र पद, अगस्त्य पद और कश्यप पद हैं। इन पिंड वेदियों पर पिंडदानी सातवें दिन पिंडदान किए।


पिंडदान करने आए थे भगवान राम और भीष्म पितामह: पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि भीष्म पितामह, शांतनु का श्राद्ध करने गया जी हीं आए थे। उन्होंने विष्णु पद में अपने पित्रों का आह्वान किए थे और श्राद्ध पिंडदान का कर्मकांड किए थे। इस दौरान शांतनु हाथ निकाले लेकिन भीष्म पितामह ने शांतनु के हाथ पर पिंड न देकर विष्णुपद पर पिंडदान किए थे इससे शांतनु काफी प्रसन्न हुए थे और आशीर्वाद दिया था, कि तुम निश्चल एवं त्रिकाल में दृष्टा होंगे और अंत में विष्णुपद को प्राप्त होंगे। इसी तरह रूद्र पद पर भगवान श्री राम पिंडदान करने को आए थे। सभी 16 पिंड वेदी के अलग-अलग महत्व और पौराणिक कथाएं हैं।

✍️ मनोज कुमार