
गया। शहर के नवागढी, रामसागर,चॉदचौरा, विष्णु पद, मंगलागौरी,राजेंद्र आश्रम, रमना, सहित विभिन्न इलाकों के मंदिरों व घरों में पति की दीघार्यु होने की कामना का पर्व तीज पारम्परिक तौर तरीके से हरतालिका तीज का त्योहार हर्सोउल्लास व उत्साह पूर्वक मनाया गया।भाद्र मास के शुक्ल पक्ष के तृतीया को मनाया जाने वाले इस पर्व के दौरान
शिव और पार्वती की पूजा-अर्चना की गयी।व्रती महिलाओं ने बताया कि यह पर्व दांपत्य और गृहस्थ जीवन के लिए बहुत ही खास है। महिलाएं अपनी पति कि लम्बी उम्र के लिए उपवास के साथ पूजा पाठ करती हैं।जिन महिलाओं की शादी के बाद यह पहला तीज था, वे इसको लेकर खास उत्साहित थी।पर्व को लेकर बाजारों में काफी चहलपहल रही।मौके पर अशोक मिश्र बाबा ने बताया कि माता पार्वती बचपन से ही भगवान शिव को अपना पति बनाना चाहती थी मगर माता-पिता ऐसा नहीं चाहते थे युवा होने पर पार्वती ने अपने सहेलियों के साथ वन में जाकर भगवान शंकर की घोर तपस्या की।तपस्या करते कई वर्ष बीत गए मगर भगवान प्रसन्न नहीं हुए। भाद्र महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवानशंकर के मिट्टी और बालू की प्रतिमा बनाकर माता पार्वती ने व्रत रखकर पूर्ण विधि विधान के साथ भगवान की पूजा की जिससे भगवान प्रसन्न हो गए एवं प्रसन्न होकर माता को दर्शन दिया एवं वरदान मांगने को कहा वरदान के रूप में माता पार्वती ने भगवान शंकर से स्वयं को पति के पत्नी के रुप में स्वीकार करने तथा हर जन्म में आप ही मेरे पति बने ऐसा वरदान लिया।
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