गया। पैरा ओलंपिक में भारत के लिए सर्वप्रथम स्वर्ण पदक जीतने वाला श्री मुरलीकान्त राजाराम पेटकर ने अफसर प्रशिक्षण अकादमी गया में एक मोटिवेशन लेक्चर दिया। सभी ऑफिसर कैडेट, ऑफ़िसर्स, स्टाफ़, इंस्ट्रक्टर तथा बच्चों से बात करके अपनी कहानी बताई।मुरलीकान्त राजाराम ने बताया कि कैसे अपने जीवन में कभी किसी भी प्रकार के संकट या शारीरिक समस्याओं से हार नहीं मानी।हर बाधा को पार करते हुए नित नयी ऊँचाइयों को छूते गये। बात 1965 की है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच जंग चल रही थी।उस जंग में गोलियां लगने से बुरी तरह ज़ख़्मी हुआ एक जवान कोमा में चला गया, जब होश आया तो
पाया कि वो हमेशा के लिए पैरालाइज़्ड हो गया है।ठीक सात साल बाद 1972 में वो जवान भारत के लिए पैरालंपिक में उतरता है।वह निजी स्पर्धा में पहली बार भारत के लिए पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच देता है और वर्ल्ड चैंपियन बनता है।भारत के लिए इतिहास रचने वाले इन्हीं मुरलीकांत पेटकर की ज़िंदगी से प्रेरित है, निर्देशक कबीर ख़ान और अभिनेता कार्तिक आर्यन की फ़िल्म ‘चंदू चैंपियन.’ रोल किया है। अफसर प्रशिक्षण अकादमी गया के कमांडेंट लेफ़्टिनेंट जनरल परमजीत सिंह मिन्हास,अति
विशिष्ट सेवा मेडल ने स्मृति चिन्ह भेंट किया। आपकी जीवन की कहानी सुनाने के लिए अपार भीड़ एकत्रित हुई थी।आप आज की पीढ़ी के लिए एक जीवंत उदाहरण है जो ये सिखाते है कि कितनी भी कठिनाइयाँ आये जीवन में कभी भी थक कर रुकना नहीं चाहिए। निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए।भारत सरकार ने भी आपको पद्म श्री से सम्मानित किया है।आपको 9 गोलियाँ लगी थी। आज भी कमर की हड्डी में एक गोली धँसी हुई है ।
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