प्रमुख एवं उपप्रमुख की कुर्सी गयी, अविश्वास प्रस्ताव भारी मत से पारित।


प्रमुख नहीं पहुचीं, उपप्रमुख का मत रद्द
फतेहपुर प्रखंड प्रमुख सोनवा देवी एवं उपप्रमुख दिलिप यादव को पद से हटना पड़ा दोनों के खिलाफ विपक्ष के द्वारा लाये गये अविश्वास प्रस्ताव पर मंगलवार को प्रखंड कार्यालय परिसर में मतदान किया गया। मतदान के दौरान 14 पंचायत समिति सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। जबकि एक मत सही ढंग से मतदान नहीं करने के कारण रद्द करना पड़ा संभावना जताई जा रही की रद्द मत उप प्रमुख दिलीप कुमार का था।प्रखंड निर्वाचन पदाधिकारी सह बीडीओं राहुल रंजन ने बताया कि 14 पंचायत समिति सदस्यों के द्वारा प्रमुख एवं उप प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था मतदान के लिए सदन में उप प्रमुख समेत 15 लोग ही उपस्थित हुए।जबकि प्रखंड में पंचायत समिति सदस्यों की संख्या 25 है।मतदान के दौरान प्रमुख अनुपस्थिति रही।वहीं उनके समर्थक भी सदन में नहीं पहुंचे. सत्ता पक्ष की ओर से उपप्रमुख ही सदन में उपस्थित रहे। हालांकि अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में एक भी मत प्राप्त नहीं हुआ।
पूर्व प्रमुख के नेतृत्व में विपक्षी खेमा ने किया था अपने किले की घेराबंदी।
अविश्वास प्रस्ताव के लिए पूर्व प्रमुख अनीता देवी एवं पिछले बार उपप्रमुख के प्रबल दावेदार रहे रणधीर कुमार यादव के नेतृत्व में विपक्षी खेमे का किलाबंदी की गयी थी।पूर्व प्रमुख के नेतृत्व में 14 सदस्यों ने वर्तमान प्रमुख एवं उप प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था। मतदान के दौरान भी 14 में से 14 मत अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में पड़ा।
राजनीतिक सरगर्मी हुई तेज।प्रमुख एवं उपप्रमुख ताज के लिए फिर से फतेहपुर में राजनीतिक हलचल तेज हो गयी है। हालांकि अभी चुनाव की तिथि घोषित नहीं की गयी है।परंतु विपक्षी खेमे के द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को पारित करने के बाद अपने खेमे के प्रमुख एवं प्रमुख बनने के लिए जीततोड़ प्रयास में लग गया है, संभावना जताई जा रही की प्रमुख के लिए पूर्व प्रमुख अनीता देवी एवं उपप्रमुख के पिछले बार चुनाव में पराजित 1 वोट से पराजित हुए रणधीर कुमार यादव इस बार भी मैदान में ताल ठोकेंगे।वही देखना होगा कि सत्ता पक्ष की ओर से फिर से प्रमुख एवं उपप्रमुख पद पाने के लिए जोर आजमाइश की जाती है या नहीं।आज की राजनीतिक हालात के बाद फतेहपुर के चौक चौराहों पर चर्चा का विषय बना हुआ है‌।क्योंकि पिछले दो दशक से प्रखंड में एक ही राजनीतिक गुटका कब्जा रहा था।