
नैक में ए प्लस प्लस (++) ग्रेड लाकर सीयूएसबी ने रचा इतिहास
पिछले एक दशक से भी अधिक समय से “शैक्षणिक उत्कृष्टता” एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने वाले बिहार राज्य के प्रथम प्रतिष्ठित सेंट्रल यूनिवर्सिटी, दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी), गया अपने नाम अब तक की सबसे बड़ी ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज करते हुए 3.58 ग्रेड पॉइंट के साथ राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद् (नैक) से ‘ए ++’ ग्रेड प्राप्त किया है | अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए जन सम्पर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मो. मुदस्सीर आलम ने बताया कि सीयूएसबी ने ‘ए ++’ ग्रेड प्राप्त कर देश के चुनिन्दा राष्ट्रीय उच्च शिक्षा संस्थानों के विशिष्ट समूह में शामिल हो गया है | उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि के साथ सीयूएसबी नैक प्रदत्त ‘ए ++’ की श्रेणी प्राप्त करने वाला बिहार का पहला विश्वविद्यालय भी बन गया है | विदित हो की सीयूएसबी ने वर्ष 2016 में नैक द्वारा मूल्यांकन और प्रमाणन के प्रथम चरण में ‘ए’ ग्रेड प्राप्त किया था | इसके पश्चात पांच वर्ष पूर्ण होने पर पुनः विश्वविद्यालय ने 2022 में कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह के नेतृत्व और मार्गदर्शन में नैक मूल्यांकन और प्रमाणन के द्वितीय चरण के लिए आवेदन किया था | कई महीनों तक चले बहुस्तरीय मूल्यांकन एवं पिछले महीने 17 से 19 मई 2023 के बीच नैक टीम के विश्वविद्यालय परिसर एवं संसाधनों के भौतिक निरीक्षण के पश्चात नैक ने विश्वविद्यालय को ए ++ की उच्चतम श्रेणी प्रदान किया है | इस उपलब्धि को प्राप्त कर विश्वविद्यालय देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में शामिल हो गया है |
इस विशिष्ट और ऐतिहासिक अवसर पर कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने अपनी हार्दिक प्रसन्नता और संतोष व्यक्त करते हुए सफलता का श्रेय विश्वविद्यालय के शिक्षकों, विद्यार्थियों, कर्मचारियों एवं अधिकारियों को जाता है | कुलपति ने इस उत्कृष्ट उपलब्धि को विश्वविद्यालय परिवार के सामूहिक प्रयासों का प्रतिफल बताते हुए इसे सामूहिक संकल्प से विशिष्ट उपलब्धि का बेमिसाल उदहारण बताया | साथ ही कुलपति ने इस उपलब्धि के साथ भविष्य में आने वाले राष्ट्रीय उत्तरदायित्व की ओर भी संकेत करते हुए कहा कि अब विश्वविद्यालय की जिम्मेवारी बढ़ गयी है | उन्होंने विश्वविद्यालय परिवार से आह्वाहन करते हुए कहा कि हमें और संकल्पित एवं उर्जान्वित होते हुए शिक्षा एवं अनुसन्धान के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में प्रभावी भूमिका का निर्वहन करते रहना है | कुलपति ने यह आशा व्यक्त की है कि विश्वविद्यालय सामूहिक प्रयास से न केवल नालंदा और विक्रमशिला के प्राचीन गौरव को पुनर्स्थापित करने में कामयाब होगा बल्कि वैश्विक रैंकिंग में भी अपना स्थान बनाएगा ।
ज्ञातव्य है कि दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय, गया की स्थापना भारतीय संसद द्वारा पारित केन्द्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 के तहत बिहार केन्द्रीय विश्वविद्लाय के रूप में हुई थी | विश्वविद्यालय ने अपनी अकादमिक यात्रा की शुरुआत पहले पटना और बाद में वर्ष 2013 में गया में भाड़े पर लिए गए मकानों के साथ की थी | विश्वविद्यालय को अपना अत्याधुनिक स्थायी परिसर 2018 में गया जिले के पंचानपुर के निकट प्राप्त हुआ | शुरुआती चरण की कठिनाईयों का सामना करते हुए भी अकादमिक क्षेत्र में विश्वविद्यालय निरंतर उपलब्धियां प्राप्त करता रहा और राष्ट्रीय स्तर पर अपना पहचान बनाने में कामयाब रहा | आज विश्वविद्यालय अपने विश्वस्तरीय परिसर में 11 अकादमिक पीठों एवं 25 अकादमिक विभागों के साथ सुचारू रूप से कार्यरत है | वर्तमान में 180 उच्चकोटि के शिक्षक देश के दूर दराज क्षेत्रों से एवं विदेशों से आये हुए लगभग 3000 छात्र -छात्राओं को विश्वस्तरीय शिक्षण- प्रशिक्षण और विभिन्न अनुशासनों में अत्याधुनिक अनुसन्धान प्रदान कर रहे हैं | नैक ने विश्वविद्यालय को ‘ए ++’ की श्रेणी प्रदान कर उच्च शिक्षा के प्रति इसकी निष्ठा और समर्पण पर मुहर लगा दी है I












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